देहरादून, 5 नवंबर — थानों के लेखक-गाँव में तीन-दिन के इस महोत्सव का समापन हर्षोल्लास के साथ हुआ, जहाँ पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री के रूप में समापन सत्र में शामिल हुए और दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
इस समापन सत्र में “योग, आध्यात्म एवं नाड़ी विज्ञान” की महत्ता पर गहरी चर्चा हुई। नामांकित नाड़ी रोग विशेषज्ञ लक्ष्मी नारायण जोशी ने सत्र में यह कहा कि —
> “शरीर में मस्तिष्क से ही सभी रोग पैदा होते हैं। जिनके लक्षण शरीर द्वारा प्रकट किए जाते हैं। मस्तिष्क में ही सभी रोगों का निधन भी है।”
उन्होंने यह भी बताया कि आज के समय में आहार-विहार (खान-पान, जीवनशैली) और अनिद्रा के कारण रोगों की संख्या बढ़ रही है, इसलिए संयमित दैनिक जीवनचर्या अपनाना आवश्यक है। अवचेतन मन को स्वच्छ बनाए जाने का सुझाव भी उन्होंने दिया।
कार्यक्रम में संवेदना, संस्कृति और स्वास्थ्य को साथ ले जाने की प्रतिबद्धता स्पष्ट दिखी। आयोजकों ने बताया कि महोत्सव के माध्यम से पर्वतीय जीवन, पर्यटन और स्वास्थ्य पर भी विचार-विमर्श हुआ।
उपसंहार : इस महोत्सव ने न केवल सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से बल्कि स्वास्थ्य-विज्ञान और आध्यात्मिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। आयोजकों की मंशा है कि अगले वर्ष इस तरह के आयोजन और व्यापक हों और इससे लोगों को जीवन के बहुआयामी आयामों पर जागरूकता मिले




