गाँधी, जो भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं, उन्होंने न केवल नेतृत्व किया बल्कि बड़े निर्णायक कदम उठाकर “भारत की लौह महिला (Iron Lady of India)” के रूप में अपनी छवि बनाई।
जीवन परिचय
इंदिरा प्रियदर्शिनी गाँधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था।
वे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं, और राजनीति-परिवार में पली-बढ़ीं।
उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा ग्रहण की और बाद में राजनीति में कदम रखा।
मुख्य उपलब्धियाँ
1966 में वे भारत की प्रधानमंत्री बनीं — इस पद पर पहुँचने वाली पहली महिला।
उन्होंने “गरीबी हटाओ” जैसे अभियान से सामाजिक-आर्थिक कल्याण को बढ़ावा दिया।
1971-72 में भारत-पाक युद्ध एवं पूर्वी पाकिस्तान के भाग से बने नए देश बांग्लादेश पर उनकी अगुआई में जीत मिली, जिसने उन्हें “लौह महिला” की उपाधि दिलाई।
1974 में भारत ने परमाणु परीक्षण किया (पोखरण‑I परीक्षण) जिससे भारत एक परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बना।
कृषि में “हरित क्रांति” और वित्तीय सुधारों से भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाए।
विवाद एवं चुनौतियाँ
1975 में देश में घोषित भारतीय आपातकाल (Emergency) उनके राजनीतिक जीवन का विवादित अध्याय रहा, जिसे लोकतांत्रिक आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
उनके निर्णय और कार्य-शैली पर तीखी टिप्पणी हुई, लेकिन समर्थक इसे दृढ़ नेतृत्व मानते हैं।
पद-त्याग और विरासत
31 अक्टूबर 1984 को उनकी अपनी अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया।
आज भी उनके द्वारा लिए गए निर्णय, उनका नेतृत्व और सशक्त महिला-नेता का चित्र प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
निष्कर्ष
इंदिरा गाँधी एक ऐसा नाम हैं जिसने महिलाओं की सशक्तता, देश की स्वावलंबनता और राजनीतिक नेतृत्व की सीमाओं को चुनौती दी। उनका जीवन-सफर प्रेरणा देता है कि कैसे एक व्यक्ति अपने समय का इतिहास गढ़ सकता है। आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी उपलब्धियों और उनके समय के फैसलों को याद करना महत्वपूर्ण है।




