उत्तर प्रदेशउत्तराखंडगढ़वाल मण्डलदेश-विदेशदेहरादूनपर्यटनयूथरुड़कीशिक्षासामाजिकहरिद्वार

भारत की पहली महिला रेडियोलॉजिस्ट डॉ. स्नेह भार्गव: इतिहास रचने वाली वैज्ञानिक की जीवनगाथा

देश की चिकित्सा और महिला प्रेरणा की दुनिया में एक पर्सपेक्टिव-चेंजिंग नाम — डॉ. स्नेह भार्गव। 1958 में रेडियोलॉजी में प्रवेश कर, उन्होंने चिकित्सा जगत की कई सीमाओं को चुनौती दी और आज भी 95 वर्ष की आयु में अपनी यादों और अनुभवों को जीवंत रखने वाली ये डॉक्टर प्रेरणा बनी हैं।

 

 

 

जीवन की झलक

 

जन्म एवं प्रारंभिक पृष्ठभूमि

डॉ. स्नेह भार्गव का जन्म 1930 में हुआ। विभाजन के समय उनका परिवार पाकिस्तान से होकर भारत आया। उन्होंने Lady Hardinge Medical College से चिकित्सा की पढाई की।

 

विदेशी शिक्षा और पेशेवर विकास

1955 में वे लंदन चली गईं, जहां वे Westminster अस्पताल की रेडियोलॉजी शाखा में एकमात्र महिला छात्रा थीं।

भारत लौटने के बाद उन्होंने AIIMS, नई दिल्ली में रेडियोलॉजी में योगदान देना शुरू किया।

 

 

 

 

शीर्ष पद और चुनौतियाँ

 

AIIMS की पहली महिला निदेशक

31 अक्टूबर 1984 को, उनकी निदेशक पद पर नियुक्ति के उसी दिन, देश के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अस्पताल लाया गया—एक राजनीतिक और भावनात्मक तूफान के बीच डॉ. भार्गव ने अस्पताल संचालन संभाला।

 

विभिन्न मेडिकल विभागों की स्थापना

अपने 30 वर्षों में AIIMS में उन्होंने न यूरोरेडियोलॉजी, कार्डियोवस्कुलर रेडियोलॉजी, पेडियाट्रिक रेडियोलॉजी, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी जैसे विभागों का विकास किया।

 

 

 

 

यादगार घटनाएँ और संघर्ष

 

इंदिरा गांधी की अस्पताल में मौत

अस्पताल को यह सूचना मिली कि प्रधानमंत्री गोली लगने के बाद आ रही हैं। डॉ. भार्गव ने तुरंत कदम उठाया—उनका कहना है कि उन्हें अंदेशा था कि स्थिति गंभीर है।

अस्पताल को आदेश दिया गया कि मृत्युद announce न किया जाए जब तक राजीव गांधी और अन्य शीर्ष नेताओं दिल्ली नहीं लौटे हों—ताकि सत्ता का विघटन न हों।

 

सिख कर्मचारियों की सुरक्षा

बताए अनुसार, तत्कालीन दंगों और तनाव की स्थितियों में उन्होंने सिख कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की और अपना घर शरणार्थियों के लिए खोला।

 

 

 

 

आदर एवं पुरस्कार

 

पद्म श्री (1991)

भारत सरकार द्वारा उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए 1991 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

 

अन्य सम्मान एवं मान्यता

रेडियोलॉजी शिक्षा एवं अनुसंधान में योगदान के लिए उन्हें प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले, और वे रेडियोलॉजिस्ट्स एसोसिएशनों की अध्यक्ष भी रहीं।

 

 

 

 

आज की स्थिति और प्रेरणा

 

उन्होंने लगभग 90 वर्ष की आयु तक चिकित्सा सेवा की, और अब अपनी संस्मरण ‘The Woman Who Ran AIIMS’ प्रकाशित कर रही हैं।

 

95 वर्ष की अवस्था में भी वे चिकित्सा और तकनीक में नई चीजों को सीखने की जिजीविषा रखती हैं, जैसे AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और आधुनिक इमेजिंग तकनीकें।

 

उनका जीवन लैंगिक समानता, दृढ़ संकल्प, और सेवा की भावना की मिसाल है — विशेषकर उन युवतियों और चिकित्सकों के लिए जो STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, चिकित्सा) क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती हैं।

 

 

 

 

संदर्भ (यदि आवश्य हो)

 

(आप अपने अखबार/पत्रिका शैली के अनुसार इन स्रोतों को छोटा-सा उद्धृत कर सकते हैं)

 

RSNA — Dr. Bhargava की उपलब्धियाँ और योगदान

 

Scroll / Memoir Excerpts

 

Vogue — “पहली महिला रेडियोलॉजिस्‍ट” लेख

 

Indian Express — वर्तमान जीवन और विचार

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button