नई दिल्ली — 8 अक्टूबर को मनाए जाने वाले भारत वायुसेना दिवस के अवसर पर यह जानना प्रेरणादायक है कि किस तरह महिलाएँ अब वायुसेना की ताकत का अभिन्न हिस्सा हैं। Amar Ujala की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ ऐसी शौर्य-गाथाएँ हैं जिन्होंने रूढ़ियों को तोड़ा है और नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
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क्या स्थिति है आज?
वर्ष 2025 तक भारतीय वायुसेना में 1000 से अधिक महिला अधिकारी सेवाएँ दे रही हैं।
इनमें करीब 15 महिला फाइटर पायलट, 250+ ग्राउंड ड्यूटी अधिकारी, और अन्य कई टेक्निकल एवं इंजीनियरिंग शाखाओं की अफसर शामिल हैं।
अब महिलाएँ स्थायी कमीशन पर हैं, जिस से वे नेतृत्व की भूमिकाएँ पुरुषों के बराबर निभा सकती हैं।
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इन पांच शेरनियों ने इतिहास रचा
1. फ्लाइट लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी
2016 में भारत की पहली महिला फाइटर पायलट बनीं। उन्होंने मिग-21 बाइसन उड़ाया और 2024 में अमेरिकी “रेड फ्लैग एयर एक्सरसाइज” की प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया।
2. स्क्वाड्रन लीडर भावना कान्त
उन्होंने दिन के समय लड़ाकू मिशनों में उड़ान की अनुमति पाने वाली पहली महिला अधिकारी का दर्जा हासिल किया। बालाकोट स्ट्राइक जैसे अभियानों में उनका अप्रत्यक्ष योगदान उल्लेखनीय रहा है।
3. फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह
उन्होंने भारतीय वायुसेना के इतिहास में पहला कॉम्बैट सॉर्टी मिशन उड़ाया। वर्तमान में वे ऑपरेशनल और प्रशिक्षण यूनिट्स दोनों में नई पीढ़ी को प्रेरित कर रही हैं।
4. ग्रुप कैप्टन शैलजा धामी
2023 में उन्हें पहला अवसर मिला कि वे एक फाइटर बेस की कमान संभालने वाली महिला अफसर बनीं। यह भारतीय सैन्य इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण था।
5. स्क्वाड्रन लीडर दीपिका मिश्रा
उन्होंने बाढ़ राहत कार्यों में साहस का परिचय दिया और हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में उन्हें गैलेंट्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
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महिला अफसरों की भूमिका का महत्व
ये महिलाएँ सिर्फ “नियुक्तियाँ” नहीं हैं, बल्कि नेतृत्व, साहस और सेवा की मिसाल हैं।
उनके उदाहरण से आने वाली पीढ़ियाँ प्रेरित होंगी कि आकांक्षा और मेहनत से बाधाओं को पार किया जा सकता है।
ये बदलाव यह दिखाते हैं कि अब पारंपरिक सीमाएँ टूट रही हैं और समान अवसरों की दिशा में वायुसेना सक्रिय है।