आज ऋषिकेश में बड़ी धूमधाम के साथ भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा व बलभद्र की रथ यात्रा हवा।
श्रद्धालुओं ने “हरे राम हरे कृष्णा” की धुन पर नारा लगाते हुए रथ को रस्सी से खींचा।
रथ यात्रा कैलाश गेट से शुरू होकर मंदिर मार्ग से होकर चंद्रभागा पुल, मुख्य बाजार, रेलवे रोड, अंततः गुरुद्वारा में सम्पन्न हुई।
इस आयोजन की मुनि की रेती ढलवाला स्थित मधुबन आश्रम ने आयोजन किया और यह उनका 8वां वर्ष है जब वे यह यात्रा निकाल रहे हैं।
देश-विदेश से आए कृष्ण व राम भक्तों ने यात्रा में हिस्सा लिया।
पुलिस एवं प्रशासन द्वारा सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की गई थी ताकि भीड़ नियंत्रण व शांति सुनिश्चित हो सके।
अखबार के लिए खबर का प्रारूप (फ्लो व भाषा सुझाव)
शीर्षक:
धूमधाम से निकली रथ यात्रा — ऋषिकेश ‘हरे राम-हरे कृष्णा’ से गुंजा
उप-शीर्षक:
पुलिस-प्रशासन की सख्त निगरानी में हजारों श्रद्धालुओं ने रथ को रस्सी से खींचा, यात्रा की शुरुआत कैलाश गेट से और समापन गुरुद्वारे पर
मुख्य अभिवृत्ति:
आज ऋषिकेश की गलियाँ भक्ति और उल्लास में डूब उठीं, जब भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा एवं भाई बलभद्र की भव्य रथ यात्रा निकाली गई। हजारों की संख्या में श्रद्धालु “हरे राम हरे कृष्णा” की लय पर आगे बढ़े। यात्रा की शुरुआत कैलाश गेट से हुई, और मंदिर मार्ग होकर चंद्रभागा पुल, मुख्य बाजार से होते हुए रेलवे रोड स्थित गुरुद्वारे तक की गई।
मधुबन आश्रम की ओर से यह 8वीं रथ यात्रा थी। विभिन्न प्रदेशों से आए कृष्ण व राम भक्तों ने सज — धज कर भाग लिया। प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन व सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया — पुलिस की गठित चौकसी, मार्गों पर बैरियर, और अन्य आवश्यक इंतजाम तैनात किए गए।
उदाहरण पृष्ठ संवाद:
“हम इस पावन अवसर के लिए दूर-दूर से आए हैं। रथ खींचने का यह अवसर हमें जीवन में एक बार ही मिलता है,” — एक भक्त ने बताया।
आयोजन समिति के संयोजक परमानंद दास महाराज ने बताया कि उनका आश्रम रथ यात्रा को शांति एवं अनुशासन के साथ चलाने की पूरी तैयारी करता है।
समापन पैराग्राफ:
यह रथ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि श्रद्धा, एकता और आध्यात्मिक आनंद का संगम भी है। ऐसे आयोजन न सिर्फ लोक संस्कृति को रंग देते हैं, बल्कि लोगों में समाज-स्नेह और सौहार्द की भावना को भी पुष्ट करते