हरिद्वार, 4 अक्टूबर 2025 — देवीधारा गंगा की अविरल धारा अचानक थम गई। घाटों पर जमा हुए हजारों स्थानीय और आगंतुकों ने नदी की रेत और तलछट में हाथ डालने शुरू कर दिए, यह उम्मीद में कि कहीं झूठी नहीं, बल्कि लक्ष्मी की झलक मिलेगी — यानी सिक्का, सोना या चाँदी। यह प्रक्रिया लगभग 15 दिन तक जारी रहने की आशंका जताई जा रही है।
वार्षिक “गंग नहर बंदी” परंपरा
हर वर्ष गंग नहर बंद की जाते ही, गंगा की धारा रुकने पर यह दृश्य देखने को मिलता है। ऐसे समय पर निआरिआ (गंगा किनारे पर रहने वाले लोग) अपने पारंपरिक काम (फूल परोसना, थाली सजाना, टीका लगाना आदि) छोड़कर चट्टानों, रेत और तलछट में खोदते हैं। इस बार भी बुधवार की रात 11 बजे धारा बंद होते ही ये प्रक्रियाएँ शुरू हो गईं।
जीवन-यापन और उम्मीदें
इन लोगों में कई ऐसे हैं जो इस 15-दिन के अवसर पर अपनी जीविका का सहारा मानते हैं। कुछ का दावा है कि उन्हें इस दौरान सिक्के मिले, तो कुछ ने छोटे आभूषण (सोना-चाँदी) मिलने की बात कही है। एक निआरिआ, जीवा नामक व्यक्ति, ने बताया कि उसने एक जगह खोदाई की तो रसोई गैस सिलिंडर निकला। वहीं, संजय को फ्रीज मिलने की जानकारी मिली।
रमावती देवी नामक एक वृद्ध महिला कहती हैं कि पहले अच्छे खासे वस्तुएँ मिल जाती थीं, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। आजकल लोग दान अन्य माध्यमों से करते हैं, गंगा में नहीं — इसलिए मिलने वाली वस्तुओं की मात्रा कम रह गई है।
रेलवे पटरियों पर असर
इस घटना ने केवल आर्थिक-सामाजिक पहलू ही नहीं, बल्कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी प्रभाव डाला है। गंगा की धारा में पानी न रहने से रेलवे की लाइनें उजागर हो गईं। कुछ हिस्से तीन फीट तक घिसे पाए गए हैं, जबकि अन्य जगहों पर पटरियाँ उखड़ी हुई हैं। माना जा रहा है कि हाल की भारी बारिश और तेज प्रवाह ने इस स्थिति को गंभीर बना दिया।
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सुझाव — सुधार/पुष्टि हेतु
स्थानीय प्रशासन और जल विभाग से यह पुष्टि ले लें कि धारा स्थिरता में कितने दिन लगेंगे।
निआरिया समुदाय, स्थानीय लोगों और आयुक्त कार्यालय के बयान जोड़ने से खबर और विश्वसनीय होगी।
यदि संभव हो, खनन या सुरक्षा की दृष्टि से किसी भी अनियमित गतिविधि पर विभागीय प्रतिक्रिया लिया जाना चाहिए।