भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज एक बड़ा वित्तीय प्रस्ताव पेश किया है, जिसके अनुसार अब व्यक्ति अपने शेयरों को गिरवी रखकर अधिक राशि उधार ले सकेंगे। वर्तमान में यह सीमा 20 लाख रुपये है, जिसे बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा गया है।
साथ ही, आरबीआई ने आईपीओ फाइनेंसिंग (नए शेयरों की खरीद-फरोख्त के लिए उधार) की सीमा को भी 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने की योजना प्रस्तावित की है।
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प्रस्तावित मुख्य बदलाव और उद्देश्य
यह प्रस्ताव मुख्यतः पूंजी बाजार में तरलता बढ़ाने और निवेशकों को अधिक ऋण सुलभ कराने की दिशा में है।
इसके तहत, सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों (listed debt securities) के खिलाफ भी ऋण देने पर लगाई गई नियामकीय छत को हटाने का प्रस्ताव है।
आरबीआई ने यह भी घोषणा की है कि मौद्रिक नीति की बैठक के बाद रेपो दर (repo rate) को 5.5 % पर अपरिवर्तित रखा गया है।
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संभावित प्रभाव एवं चुनौतियाँ
इस प्रस्ताव से निवेशक एवं ट्रेडर्स अधिक आसानी से शेयरों को गिरवी रखकर फंड जुटा सकेंगे, जिससे बाजार में वृद्धि और गतिविधि को बढ़ावा मिल सकता है।
लेकिन, यदि बाजार में अधिक उतार-चढ़ाव रहे, तो गिरवी रखे गए शेयरों की कीमत गिरने पर ऋण दाताओं व इन्वेस्टर्स को जोखिम झेलना पड़ सकता है।
इसके अलावा, इस भुगतान संरचना की निगरानी, साख जोखिम, और नियमों की स्पष्टता सुनिश्चित करना आरबीआई व बैंकों दोनों के लिए चुनौती होगी।