उत्तर प्रदेशउत्तराखंडगढ़वाल मण्डलदेश-विदेशदेहरादूनयूथरुड़कीशिक्षासामाजिकहरिद्वार

प्रदूषित हवा बच्चों की आँखों पर कहर — मायोपिया का खतरा बढ़ा

नई दिल्ली / स्वास्थ्य रिपोर्ट, 28 सितंबर 2025 — वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं प्रभावित कर रहा है, बल्कि बच्चों की आँखों की सेहत पर भी गंभीर असर डाल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) की समस्या तेजी से बढ़ रही है, और प्रदूषण इस वृद्धि का एक अहम कारण बनता जा रहा है।

 

 

 

प्रदूषण का आँखों पर असर

 

हवा में मौजूद छोटे और विषैले कण जैसे PM₂.₅ आंखों की सतह को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।

 

प्रदूषित हवा से आंखों की नमी बनाये रखने की क्षमता बिगड़ जाती है, जिससे सूखापन, जलन, लालिमा जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं।

 

कॉर्निया और आँख के आकार पर असर पड़ने से रोशनी ठीक से रेटिना तक नहीं पहुँच पाती, जो दृष्टि दोष का खतरा बढ़ाता है।

 

 

 

 

मायोपिया: बढ़ता हुआ संकट

 

दुनिया भर में लगभग एक तिहाई बच्चे और किशोर मायोपिया से पीड़ित हैं।

 

भारत में शहरी क्षेत्रों में 10–15 वर्ष के बच्चों में इस समस्या के मामले पिछले दशक में दोगुने हो गए हैं।

 

विशेषज्ञों का मानना है कि मोबाइल और स्क्रीन उपयोग का असर भी मायोपिया की बढ़त में योगदान दे रहा है।

 

शोधों से पता चला है कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) और PM₂.₅ जैसे प्रदूषक विशेष रूप से दृष्टि संबंधी विकारों को बढ़ावा दे सकते हैं।

 

 

 

 

रोकथाम और बचाव के सुझाव

 

1. खुले वातावरण में समय बिताना — धूप में बाहर खेलने से आँखों को प्राकृतिक रोशनी मिलेगी, जो स्वस्थ विकास में सहायक होती है।

 

 

2. स्क्रीन टाइम सीमित करना — मोबाइल, टेबलेट, कंप्यूटर स्क्रीन पर लंबी अवधि नज़र न टिकाएँ।

 

 

3. आँखों की सुरक्षा — प्रदूषण युक्त समय में चश्मा या विशेष आँखों की मास्क/गॉगल प्रयोग करें।

 

 

4. नियमित जांच — बच्चों की आँखों की नियमित जाँच कराएँ ताकि कोई समस्या तुरंत पकड़ी जाए।

 

 

5. वातावरणीय सुधार — पेड़-पौधों की वृद्धि, प्रदूषण नियंत्रण नीतियाँ आदि सुनिश्चित करना ज़रूरी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button