नई दिल्ली, 28 सितंबर 2025 — भारत के टॉप बिजनेस स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन एक नए सर्वेक्षण से पता चला है कि सिर्फ 7 प्रतिशत फैकल्टी ही ऐसे हैं जो AI के प्रयोग में ‘एक्सपर्ट’ श्रेणी में आते हैं। बाकी के शिक्षक या तो आराम-रेट या मध्य-स्तर के उपयोगकर्ता हैं।
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सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष:
MBAUniverse.com द्वारा कराए गए इस सर्वे में यह खुलासा हुआ कि अधिकांश अध्यापक अब पढ़ाई, शोध (research) और पाठ्यक्रम (curriculum) डिजाइन में जनरेटिव AI-उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
लगभग 51% फैकल्टी का मानना है कि AI छात्रों की शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।
करीब 55% अध्यापक मध्य-स्तर के (intermediate) उपयोगकर्ता हैं—यानि उन्हें AI की कुछ जानकारी है, लेकिन विशेषज्ञ स्तर की महारत नहीं।
सिर्फ 7% ही ऐसे हैं जिन्हें AI उपकरणों का उपयोग करने में विशेषज्ञता प्राप्त है।
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AI कौन-से उपकरणों का हो रहा है इस्तेमाल:
ChatGPT को सबसे उपयोगी टूल माना गया है।
इसके बाद Microsoft Copilot और Perplexity का नाम आता है।
Google Gemini और Claude को मध्यम उपयोग की श्रेणी मिली है, जबकि Meta AI को अपेक्षाकृत कम प्रासंगिक माना गया।
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चुनौतियाँ एवं सुझाव:
कई फैकल्टी में नीतियों की कमी, नैतिकता और ईमानदारी (ethics & integrity) से जुड़ी चिंताएँ हैं।
कभी-कभी AI द्वारा दिए जाने वाले परिणामों की विश्वसनीयता भी एक मुद्दा बनी हुई है।
रिपोर्ट यह सुझाव देती है कि शिक्षा संस्थानों को प्रशिक्षण-कार्यशालाएँ (training workshops) और कैपेसिटी बिल्डिंग कार्यक्रम शुरू करने चाहिए ताकि फैकल्टी AI उपकरणों के इस्तेमाल में अधिक विश्वास और दक्षता हासिल कर सकें।
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नतीजा:
यह सर्वे संकेत देता है कि भारतीय बी-स्कूलों में AI की स्वीकार्यता और इस्तेमाल बढ़ रही है, लेकिन सही क्षमता और महारत अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुई है। यदि शिक्षण संस्थान समय रहते कदम उठाएँ, तो AI के जिम्मेदार और प्रभावशाली इस्तेमाल से शिक्षा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार संभव है।