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सुपौल में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का प्रवचन

ज्योतिर्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि गोत्र ही हिंदुओं की पहचान है, जिसे भूलना सनातनधर्मियों के लिए अनुचित है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक सनातनी को अपने गोत्र का स्मरण और उसके महत्व को समझना चाहिए।

 

वे यहां गौमतदाता संकल्प यात्रा के अंतर्गत आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले बड़ी संख्या में गौभक्तों ने पालकी में शंकराचार्य जी का स्वागत करते हुए उन्हें कार्यक्रम स्थल तक पहुंचाया।

 

शंकराचार्य जी महाराज ने गौमाता के महात्म्य का उल्लेख करते हुए कहा कि 33 कोटि देवी-देवताओं का आश्रय गौमाता हैं। उन्होंने कहा कि भारत भूमि पर अब गौमाता के प्राणों की रक्षा किसी भी कीमत पर की जाएगी। नेता वर्षों से गोकशी रोकने में विफल रहे हैं, इसलिए अब समय आ गया है कि जनता मतदान के माध्यम से गौमाता की रक्षा का संकल्प ले।

 

सभा में उपस्थित गौभक्तों ने दाहिना हाथ उठाकर गौ रक्षा हेतु मतदान का संकल्प लिया।

 

कार्यक्रम के पश्चात शंकराचार्य जी फारबिसगंज पहुंचे, जहां जगह-जगह पुष्पवर्षा व जयकारों के बीच भक्तों ने उनका स्वागत किया। कई स्थानों पर श्रद्धालुओं ने चरणपादुका पूजन कर आशीर्वाद लिया।

 

इस अवसर पर प्रत्यक्चैतन्यमुकुंदानंद गिरी, श्रीनिधिरव्यानंद दिव्यानंद सागर, देवेंद्र पाण्डेय, राजीव झा व रामकुमार झा ने भी भक्तों को संबोधित किया।

शंकराचार्य जी महाराज सोमवार को फारबिसगंज में ही विश्राम करेंगे।

 

(सूचना शंकराचार्य जी के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय एवं शैलेन्द्र योगी द्वारा उपलब्ध कराई गई)

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