हरिद्वार — “देवभूमि” के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखार की इस पावन धरती ने अब सिर्फ़ धार्मिक महत्व ही नहीं पाया है, बल्कि उद्योगों की तेजी से उभरती हुई शक्ति भी बन रही है। 16 सितंबर को यहाँ आयोजित होने जा रहे एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव में इस परिवर्तन-यात्रा की गहराई से समीक्षा होगी।
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कॉन्क्लेव की जानकारी
तारीख व समय: 16 सितंबर, दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक
स्थान: आर्य पीजी कॉलेज, बस स्टैंड के पास, जीटी रोड, पानीपत विजडम ग्लोबल स्कूल, हरिद्वार-दिल्ली रोड, ज्वालापुर
मुख्य विषय:
1. डिजिटल परिवर्तन
2. वित्त की आसान पहुंच
3. सप्लाई-चेन आधुनिकीकरण
4. निर्यात वृद्धि
5. कौशल विकास
6. नीति सुधार
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हरिद्वार की औद्योगिक ताकत और चुनौतियाँ
औद्योगिक स्तंभ: फार्मा, एफएमसीजी, आयुर्वेद, ऑटोमोबाइल्स जैसे क्षेत्र यहां मजबूत हैं। SIDCUL एस्टेट एवं पतंजलि फूड और हर्बल पार्क ने स्थानीय एमएसएमई को बढ़ावा दिया है।
स्थानीय ब्रांडिंग व योजनाएँ: वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) योजना के ज़रिए हर जिले के विशेष उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने पर बल।
चुनौतियाँ:
पर्यावरणीय प्रतिबंध जो उत्पादन क्षमता पर प्रभाव डाल रहे हैं
लॉजिस्टिक्स की बढ़ी हुई लागत व अवसंरचना की कमियाँ जो प्रतिस्पर्धा को प्रभावित कर रही हैं
बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) पर अत्यधिक निर्भरता से स्थानीय उद्यमों की कार्य-क्षमता सीमित हो रही है
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उम्मीदें और आगे की राह
कॉन्क्लेव में भाग लेने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि यदि:
स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन मिले,
बुनियादी ढांचे में सुधार हो,
विशेषज्ञता और कौशल को बढ़ावा मिले,
साथ ही नीति-निर्माताओं द्वारा ईमानदार और समयबद्ध सहयोग हो,
तो हरिद्वार जल्द ही न सिर्फ़ देवभूमि के नाम से बल्कि औद्योगिक विकास के उदहारण के रूप में भी पूरे देश में जाना जाएगा।
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यह आयोजन हरिद्वार के उन उद्यमियों के लिए भी अवसर है जो नए विचारों, आधुनिक तकनीक-हस्तक्षेप और वैश्विक बाज़ार से जुड़ने के रास्ते तलाश रहे हैं।