ग्राम चमोली (जोशीमठ), उत्तराखंड, 13 सितम्बर 2025 — श्राद्ध पक्ष की शुरुआत के साथ बद्रीनाथ धाम के ब्रह्मकपाल तीर्थ में पितर तर्पण और पिंडदान करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ उमड़ रही है। विशेष रूप से नेपाल, रूस और यूक्रेन जैसे देशों से आए भक्त ब्रह्मकपाल में तर्पण कर बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन भी कर रहे हैं।
ब्राह्मकपाल तीर्थ पुरोहित मदनमोहन कोठियाल के अनुसार, पितर पक्ष के चलते इस समय श्रद्धालुओं की संख्या में विशेष वृद्धि हुई है। पिंडदान व तर्पण करने का यह स्थान “कपालमोचन तीर्थ” के नाम से जाना जाता है। महात्म्य के अनुसार ब्रह्मा जी का पंचम सिर काटे जाने के बाद वह सिर (कपाल) अलकनंदा नदी के तट पर गिरा था, जो आज एक प्राचीन शिला रूप में मौजूद है।
पुरोहित हरिष सती ने बताया कि ब्रह्मकपाल को श्रेष्ठ स्थान माना जाता है — ऐसी मान्यता है कि जीवन में यदि किसी व्यक्ति ने कभी पितरों को तर्पण नहीं किया हो, तो वह ब्रह्मकपाल आकर अपना तर्पण कर सकता है। एक बार यहां तर्पण कर लेने के बाद अन्यत्र इसके समान पुण्य प्राप्य नहीं माना जाता।
श्रद्धालुओं की इस भीड़ की वजह से क्षेत्रीय प्रशासन और मंदिर प्रबंधन कोड़-प्रणाली और दर्शन-सुविधाओं को व्यवस्थित बनाने में जुट गए हैं, ताकि भक्तों को कोई असुविधा न हो। साथ ही तीर्थ यात्रा एवं धार्मिक आस्था के इस दौर को शांतिपूर्ण बनाने के लिए सुरक्षा एवं सफाई की व्यवस्थाएँ कड़ी की गई हैं।