वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत और यूरोपीय संघ (EU) एक व्यापक और संतुलित मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement, FTA) को पूरा करने के लिए पूरी गंभीरता और प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं।
गोयल ने ऑटोमोटिव कम्पोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ACMA) को संबोधित करते हुए ज़ोर दिया कि यह समझौता एकतरफ़ा नहीं होना चाहिए। हर बातचीत में कुछ हद तक लेन-देन (give and take) आवश्यक है ताकि दोनों देशों के कारोबारियों व उपभोक्ताओं को न्याय मिले।
—
प्रक्रिया व प्रगति
पहलू विवरण
वार्ता दौर भारत-EU के बीच इस समय 13वां दौर (8-12 सितंबर) की वार्ताएँ जारी हैं।
समय सीमा वार्ताकारों ने उम्मीद जताई है कि वार्ता दिसंबर 2025 तक पूरी हो जाए।
संभावित क्षेत्रों में अवसर व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, और ऑटोमोटिव कम्पोनेंट उद्योग सहित कई सेक्टरों में सहयोग की संभावनाएँ खुल रही हैं।
स्पर्धा एवं लाभ भारत डिज़ाइन, विकास, अनुसंधान एवं विकास (R&D) में लागत प्रतिस्पर्धात्मकता प्रदान करता है। इससे ऑटोमोबाइल घटक उद्योग विशेष रूप से लाभान्वित हो सकता है।
—
⚠️ चुनौतियाँ
निष्पक्ष संतुलन: गोयल ने स्पष्ट किया कि समझौता “एकतरफ़ा” नहीं हो सकता; भारत को भी अपने पक्ष की रक्षा करनी है।
कड़ा वार्ताकार: EU के व्यापार आयुक्त मारोस सेफ्कोविक को गोयल ने एक कठिन वार्ताकार बताया है, जिससे वार्ता समय-समय पर बेंचमार्क मुद्दों पर संघर्ष होता है।
उच्च उम्मीदें: “परफेक्ट सौदा” खोजने में इतना समय न लग जाए कि वार्ता का ढाँचा धीमा पड़ जाए।
—
क्या होगा लाभ?
भारतीय उपभोक्ताओं और उद्योगों को सस्ते आयात के अवसर मिलेंगे।
ऑटोमोबाइल घटक उद्योग का विस्तार, विदेशी निवेश में वृद्धि, तकनीकी साझेदारी और संयुक्त उद्यमों को बल मिलेगा।
युवाओं के लिए रोजगार सृजन बढ़ेगा।
भारतीय कंपनियों को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में बेहतर स्थिति मिलेगी।