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जातिवाद सनातन धर्म की सबसे बड़ी विकृति : यति नरसिंहानंद गिरी

शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर एवं जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने कहा कि जातिगत स्वार्थ और अहंकार समाज को विनाश की ओर ले जाते हैं। महाभारत जैसे महायुद्ध का एक प्रमुख कारण भी कर्ण का जातिवाद के आधार पर हुआ अपमान था।

 

गांधीनगर स्थित श्यामा श्याम मंदिर में मां बगलामुखी महायज्ञ के तीसरे दिन प्रवचन देते हुए उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने गीता में वर्ण व्यवस्था को गुण और कर्म के आधार पर परिभाषित किया था, लेकिन स्वार्थी पूर्वजों ने इसे जातिवाद में बदल दिया। यही जातिवाद हमारी वर्तमान दुर्दशा का कारण है, जिसके चलते देश सदियों तक गुलामी झेलता रहा, मंदिर टूटे और असंख्य बहन-बेटियां अपमानित हुईं।

 

उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे जातिवाद रूपी इस “कोढ़” को समाज से समाप्त करें, अन्यथा सनातन संस्कृति पर बड़ा संकट मंडरा रहा है।

 

महायज्ञ में यति अभयानंद, यति धर्मानंद, डॉ. योगेंद्र योगी, मोहित बजरंगी व पंडित सुनील दत्त शर्मा मौजूद रहे। पुरोहित की भूमिका पंडित सनोज शास्त्री ने निभाई। आज के यजमान संदीप जिंदल व उनकी धर्मपत्नी रहे, जबकि संजय धीमान मुख्य यजमान और राजू सैनी संयोजक थे।

 

इस अवसर पर पूर्व सैनिकों ने यति नरसिंहानंद गिरी का भव्य अभिनंदन किया। कार्यक्रम में बिट्टू सिखेड़ा, मनोज शर्मा, सुनील त्यागी, संजय पाल सैनी, विनोद पाल, सचिन टोनी शर्मा, पंकज शर्मा, विनीत, गौरव व सौरभ सहित अनेक भक्तगण उपस्थित रहे।

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