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भोगवादी परम्पराओं से ब्रह्म से दूरी – आचार्य ममगांई

श्रीनगर (गढ़वाल) – महिला कल्याण समिति के तत्वावधान में आयोजित शिवपुराण कथा के तीसरे दिन प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य शिवप्रसाद ममगांई ने कहा कि आज की विकट सामाजिक परिस्थिति में वैदिक धर्म, संस्कृति और परम्पराएं लुप्त होती जा रही हैं, जबकि भोगवादी व अर्थवादी प्रवृत्तियां तेजी से बढ़ रही हैं। यही कारण है कि ब्रह्म विद्या दुर्लभ होती जा रही है और मनुष्य स्थायी सुख-शांति से दूर है।

 

आचार्य ममगांई ने कहा कि संसार विविध दुःखों से संतप्त है और जीवात्मा काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे मानसिक रोगों से ग्रस्त है। अविद्या से मुक्ति केवल आत्मा-परमात्मा संबंधी वेदज्ञान और उसके क्रियात्मक पालन से ही संभव है, न कि केवल धन-संपत्ति या भौतिक विज्ञान से। उन्होंने चेताया कि जब तक ईश्वर-प्राप्ति को जीवन का लक्ष्य नहीं बनाया जाएगा, तब तक मानवता दुःखसागर में डूबी रहेगी।

 

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में लक्ष्मी बहुगुणा, सरस्वती रतुड़ी, कमला नौटियाल, सुजाता पाटनी, देवेश्वरी बम्पाल, नंदा तिवारी, मंजू बडोनी, इन्दू जोशी, निर्मला रावत, रजनी राणा, शुभम सेमवाल, महेश बहुगुणा, आचार्य दामोदर सेमवाल, आचार्य दिवाकर भट्ट, आचार्य संदीप बहुगुणा सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।

 

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