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पटरी हटाने से मसूरी के छोटे व्यापारियों पर संकट, भूखमरी की नौबत

तीन माह की रोक से रोज़गार छीना, परिवार पालना मुश्किल

मसूरी। शहर की माल रोड पर वर्षों से अपना रोजगार चलाकर परिवारों का भरण-पोषण कर रहे पटरी व्यापारियों के सामने अब रोज़ी-रोटी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। नगर पालिका परिषद मसूरी द्वारा आगामी तीन महीनों तक पटरी व्यापार पर रोक लगाने के आदेश के बाद दर्जनों परिवार भूखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं।

 

व्यापारियों का कहना है कि वह स्थानीय निवासी हैं और बीते 20-25 वर्षों से पटरी पर दुकान लगाकर अपनी आजीविका चला रहे थे। अब जब नगर पालिका ने उन्हें दुकान लगाने से रोक दिया है, तो उनके पास न तो खाने के पैसे हैं और न ही बच्चों की स्कूल फीस भरने की क्षमता बची है।

 

बलवीर सिंह, जो सालों से मसूरी में पटरी पर दुकान लगाते रहे हैं, ने बताया कि उनके पास अब दवाइयां खरीदने तक के पैसे नहीं हैं। “हमारा पूरा परिवार इसी काम पर निर्भर था। तीन महीने तक दुकान न लगाने का फैसला हमारे लिए जीवन-मरण का सवाल बन गया है,” उन्होंने कहा।

 

शारिक, एक अन्य पटरी दुकानदार, ने बताया कि “मैं पिछले 25 सालों से मेहनत से दुकान लगाकर अपने परिवार का पेट पाल रहा था। अब बिना किसी विकल्प के नगरपालिका ने दुकानें बंद करा दीं। हम कहां जाएं?”

 

नगर पालिका द्वारा भविष्य में वेंडर जोन विकसित करने की बात कही गई है, लेकिन व्यापारियों का आरोप है कि वह योजना अभी केवल कागज़ों तक सीमित है और धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा।

 

इस फैसले के खिलाफ पटरी व्यापारी अब धरना प्रदर्शन की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि जब तक कोई ठोस वैकल्पिक व्यवस्था नहीं दी जाती, तब तक वह चुप नहीं बैठेंगे।

 

प्रमुख मांगें:

 

तीन माह की रोक तत्काल हटाई जाए

 

जब तक वेंडर जोन नहीं बनता, पटरी व्यापारियों को काम करने की अनुमति दी जाए

 

प्रभावित परिवारों को राहत सहायता दी जाए

 

 

विश्लेषण:

जहां एक ओर सरकार स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की बात करती है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय निकायों द्वारा ऐसे कठोर निर्णय छोटे व्यापारियों को उखाड़ फेंकने का कार्य कर रहे हैं। मसूरी के यह पटरी दुकानदार न सिर्फ शहर की आर्थिकी का हिस्सा हैं, बल्कि यहां आने वाले पर्यटकों को भी स्थानीय सेवाएं देते हैं।

 

अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन इस सामाजिक संकट को कैसे हल करता है।

 

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