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चैटजीपीटी पर भावनात्मक निर्भरता बढ़ा रही युवाओं की चिंता

विशेषज्ञों ने दी चेतावनी, वर्चुअल संवाद से बन रहे मानसिक स्वास्थ्य पर असर

नई दिल्ली, 3 अगस्त – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित चैटबॉट चैटजीपीटी पर बढ़ती भावनात्मक निर्भरता को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। तकनीक की मदद से जवाब पाने की प्रक्रिया अब कई युवाओं के लिए भावनात्मक सहारे का माध्यम बनती जा रही है, जिससे उनके सामाजिक संबंध और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकते हैं।

 

टेक डायरी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई युवा चैटजीपीटी से निजी बातें साझा कर रहे हैं और इसका उपयोग केवल जानकारी के लिए नहीं, बल्कि भावनात्मक संवाद के लिए भी कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आदत व्यक्ति को वास्तविक जीवन के रिश्तों से दूर कर सकती है और अकेलेपन की भावना को बढ़ावा दे सकती है।

 

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जब युवा अपनी भावनाओं और परेशानियों को इंसानों के बजाय एक बॉट से साझा करने लगते हैं, तो यह उनकी भावनात्मक परिपक्वता को प्रभावित कर सकता है।

 

प्रमुख बिंदु:

 

चैटजीपीटी पर भावनात्मक निर्भरता बढ़ने से विशेषज्ञ चिंतित

 

कई युवा निजी समस्याओं में AI से ले रहे हैं सहारा

 

वास्तविक संवाद और संबंधों से दूर हो रहे हैं युवा

 

मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है दीर्घकालिक असर

 

 

विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि तकनीक का संतुलित उपयोग करें और ज़रूरत पड़ने पर परिवार, दोस्तों या चिकित्सकोंसे ही संवाद करें।

 

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