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महामृत्युंजय मंत्र की रचना भगवान शिव के अनन्य भक्त मार्कण्डेय ने की: स्वामी रामेश्वरानंद

शिव की कृपा से बालक मार्कण्डेय बने अमर, यमराज को भी झुकना पड़ा भक्तिभाव के आगे

हरिद्वार, 20 जुलाई। जिला कारागार रोशनाबाद में श्री अखंड परशुराम अखाड़े द्वारा आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के नवें दिन कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति की प्रेरणादायक कथा सुनाई।

 

उन्होंने बताया कि महान तपस्वी मृकण्ड ऋषि संतानहीन थे, परंतु भगवान शिव की तपस्या कर उन्होंने पुत्र प्राप्ति का वरदान प्राप्त किया। हालांकि शिव ने चेताया कि संतान अल्पायु होगी। वरदान से जन्मे पुत्र का नाम मार्कण्डेय रखा गया, जिसकी आयु केवल 12 वर्ष बताई गई।

 

जैसे-जैसे उम्र निकट आती गई, मार्कण्डेय ने पिता से प्राप्त शिवमंत्र की दीक्षा के बल पर भगवान शिव की घोर आराधना प्रारंभ की और महामृत्युंजय मंत्र की रचना कर उसका अखंड जाप करने लगे। जब यमदूत आए तो वे महामंत्र का प्रभाव देखकर पीछे हट गए। स्वयं यमराज जब उन्हें लेने पहुंचे, तब मार्कण्डेय शिवलिंग से लिपट गए और मंत्रोच्चार करने लगे।

 

यमराज द्वारा जबरन खींचने की चेष्टा पर महाकाल स्वयं प्रकट हो गए और यम को डांटते हुए बोले कि जो मेरा भक्त है, उसका रक्षक मैं स्वयं हूं। उन्होंने मार्कण्डेय को दीर्घायु का वरदान दिया और यम से कहा कि जो व्यक्ति महामृत्युंजय मंत्र का श्रद्धापूर्वक जप करेगा, वह काल के प्रभाव से सुरक्षित रहेगा।

 

कथा के इस पावन अवसर पर अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक, पंडित पवन कृष्ण शास्त्री, जेल अधीक्षक मनोज आर्य, डा. राकेश गैरोला, पवन त्यागी, संजय गोयल, सोमपाल कश्यप, सचिन तिवारी, अरुण कुमार, जलज कौशिक सहित अनेक श्रद्धालु एवं अधिकारीगण उपस्थित रहे।

 

कार्यक्रम के अंत में सभी ने महामृत्युंजय मंत्र के सामूहिक पाठ और शिव पूजन में भाग लेकर दिव्यता काअनुभव किया।

 

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