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राजस्थान की धरती पर होगा मां बगलामुखी महायज्ञ और गीता महाकुंभ: यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज

शिव शक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर एवं श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने सोमवार को जयपुर स्थित पिंक सिटी प्रेस क्लब में मां बगलामुखी महायज्ञ और गीता महाकुंभ की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा किए बिना मानवता की रक्षा की कल्पना भी असंभव है।

 

उन्होंने बताया कि 11 से 19 दिसंबर 2025 तक राजस्थान की पुण्यभूमि पर 9 दिवसीय मां बगलामुखी महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा, जो सनातन धर्म की रक्षा और राष्ट्रविरोधी शक्तियों के प्रतिकार के लिए समर्पित होगा। यज्ञ में देसी नस्ल की गायों के घृत व शुद्ध हवन सामग्री का प्रयोग होगा तथा प्रत्येक श्रद्धालु को यज्ञ में आहुति देने का अवसर मिलेगा।

 

गीता महाकुंभ का आयोजन 20-21 दिसंबर को

 

महायज्ञ के उपरांत 20-21 दिसंबर को दो दिवसीय गीता महाकुंभ का आयोजन होगा। यह आयोजन हवामहल विधायक व महामंडलेश्वर स्वामी बालमुकुंदाचार्य जी की अध्यक्षता में सम्पन्न होगा। इसमें देश-विदेश से संत, धर्माचार्य व गीता मनीषी भाग लेंगे।

कार्यक्रम का उद्देश्य भगवद्गीता के वास्तविक संदेश को जन-जन तक पहुंचाकर मानवता की रक्षा और सनातन धर्म की पुनःस्थापना करना है।

 

मुख्य संयोजक व आयोजन समिति:

 

इस आयोजन के

 

मुख्य संयोजक: राजू बॉक्सर, विजय कौशिक, नारायण प्रजापति (नागौर)

 

अध्यक्ष: चंद्रप्रकाश जी ‘भाड़ेवाले’

 

उपाध्यक्ष व संयोजक: गोपाल जी शर्मा

इन सभी कोर कमेटी के प्रमुख दायित्व में रहेंगे।

 

 

जन-जागरण अभियान की होगी शुरुआत

 

यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने बताया कि इन आयोजनों के बाद राजस्थान सहित पूरे भारत में जन-जागरण अभियान शुरू किया जाएगा। महिलाओं, बच्चों और समस्त सनातनियों को संगठित व सशक्त करने के लिए धार्मिक-सामाजिक कार्यक्रमों की शृंखला चलाई जाएगी। राष्ट्र विरोधी शक्तियों के विरुद्ध सरकार व प्रशासन के सहयोग से ठोस कार्य योजना बनाई जाएगी।

 

समाज के प्रमुख लोग रहे उपस्थित

 

प्रेस वार्ता में समाजसेवी चंद्रप्रकाश अग्रवाल, पंडित विजय कौशिक, राजू बॉक्सर, मयंक त्यागी, गोपाल जी शर्मा, डॉ. उदिता त्यागी, नारायण प्रजापत (नागौर), शिव सिंह शेखावत सहित अनेक हिंदूवादी संगठन प्रमुख उपस्थित रहे।

 

महामंडलेश्वर ने अंत में कहा—

 

> “अब समय आ गया है कि सनातन धर्म के पक्ष में खुलकर खड़ा हुआ जाए। यह आयोजन एक वैचारिक क्रांति का प्रारंभ है, जो भारत को सांस्कृतिक पुनर्जागरण की ओर ले जाएगा।”

 

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