उत्तराखंड में 2025 की त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए महिला प्रतिनिधित्व फिर से मजबूत रुख पर है। कुल 7,499 प्रधान पदों में से 3,772 सीटें महिलाओं को आरक्षित की गई हैं— यानी पंचायत राज में महिलाएं अब 50% से अधिक हिस्सेदारी पर होंगी ।
तथ्य एवं दृष्टिपात
महिलाओं के लिए पांच साल पहले से चल रही 50% आरक्षण नीति इस बार भी लागू रही है।
पिछले चुनावों से आंकड़े थोड़ा आगे बढ़कर 52% पर पहुंच चुके थे—इस बार भी ऐसा उपरी अनुमान है ।
समस्त आरक्षण वर्गों—अनारक्षित, OBC, SC/ST—में बराबरी की हिस्सेदारी रखते हुए महिला आरक्षण लागू किया गया है। इस बार भी सभी वर्गों में प्रधान पदों की आधी सीटें महिलाओं के लिए अंकित की गई हैं ।
क्या है पृष्ठभूमि?
उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम, 2016 के तहत महिलाओं के लिए कम से कम आधी सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है ।
73वें संविधान संशोधन के तहत पंचायतों में महिलाओं और वंचितों के लिए आरक्षण अनिवार्य है, जिसे उत्तराखंड ने 50% सीमा तक बढ़ाया है ।
संभावित प्रभाव
महिला नेतृत्व ग्रामीण स्तर पर मजबूत होगा—अलग-अलग वर्गों में बैठकों और विकास योजनाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
ऐसी महिलाएँ जो पहली बार प्रधान बन रही हैं, वे पंचायत स्तर पर नए विचार और बदलाव लेकर आ रही हैं—उत्तराखंड के कई ग्राम पंचायतों में “ऑल-वूमन ग्राम पंचायत” का उदाहरण देखने को मिला है ।
✍️ अखबार के लिए हेडलाइन सुझाव
“उत्तराखंड पंचायत चुनाव: प्रधान की 50%+ सीटें महिलाओं को—3,772 पदों पर महिला आरक्षण”
“महिला शक्ति: उत्तराखंड की 7,499 प्रधान सीटों में से 3,772 पर बनी महिलाओं की पहुँच”
निष्कर्ष
उत्तराखंड में इस बार प्रधान पदों में महिलाओं का ऊँचा प्रतिनिधित्व उनके सशक्त नेतृत्व और गांव स्तर पर विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे पंचायतों में लिंग-समता, जागरूकता, और नवाचार की उम्मीद बढ़ेगी।