वाराणसी, 16 जून। ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मोरारी बापू के उस वक्तव्य पर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि निम्बार्क सम्प्रदाय में मृत्यु पर सूतक नहीं लगता। शंकराचार्य ने पूछा कि निम्बार्क सम्प्रदाय के किस ग्रन्थ में गृहस्थ के लिए सूतक न मानने का उल्लेख है।
शंकराचार्य ने कहा कि निम्बार्क सम्प्रदाय वैदिक है, फिर यह कैसे शास्त्रविरुद्ध कृत्य की छूट दे सकता है। उन्होंने हिन्दू धर्मशास्त्रों का हवाला देते हुए कहा कि राजा, ब्रह्मचारी और यति को छोड़कर अन्य सभी के लिए सूतक का विधान है।
मोरारी बापू द्वारा सूतक काल में ‘मानस सिन्दूर कथा’ करने पर शंकराचार्य ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि बापू की पत्नी ने आजीवन सिन्दूर लगाया, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद सूतक का पालन न करने से सिन्दूर का अपमान होता है।
शंकराचार्य ने कहा कि प्रसिद्ध व्यक्तियों की शास्त्र के प्रति अधिक जिम्मेदारी होती है, क्योंकि लोग उनके आचरण का अनुकरण करते हैं। उन्होंने भगवान राम का उदाहरण देते हुए कहा कि राम का जीवन वेदानुसार था, तो उनकी कथा करने वाले शास्त्रविरुद्ध कैसे आचरण कर सकते हैं।
विश्वनाथ मन्दिर में धार्मिक व्यवस्था की कमी पर भी शंकराचार्य ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यदि मन्दिर का प्रबन्धन धार्मिक लोगों के हाथ में होता, तो ऐसा अधर्म नहीं होता। मन्दिर में शुद्धिकरण न होने से दर्शन करने वालों को भी दोष लग रहा है।
शंकराचार्य ने स्पष्ट किया कि उनका मोरारी बापू से कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है, लेकिन शास्त्रों की रक्षा उनका दायित्व है। उन्होंने निम्बार्क सम्प्रदाय और मोरारी बापू से शास्त्रीय आधार पर स्पष्टीकरण मांगा।
शंकराचार्य के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय ने बताया कि इस विषय पर शंकराचार्य का पूरा वक्तव्य 1008.guru यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है।