नई दिल्ली। कर्ज लेने में सिबिल स्कोर अहम भूमिका निभाता है। अगर स्कोर खराब हुआ तो बैंक या वित्तीय संस्थान कर्ज देने से इनकार कर सकते हैं या अधिक ब्याज दर वसूल सकते हैं। वित्तीय सलाहकारों के मुताबिक, कर्ज का सेटलमेंट करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह सिबिल स्कोर को नुकसान पहुंचाता है और भविष्य में कर्ज लेने में दिक्कतें आ सकती हैं।
सेटलमेंट से बचत नहीं, नुकसान
कई लोग कर्ज चुकाने में असमर्थ होने पर बैंक से सेटलमेंट कर लेते हैं, खासकर क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन के मामलों में। सेटलमेंट के तहत बैंक कुछ राशि माफ कर देते हैं, लेकिन यह प्रक्रिया ग्राहक के सिबिल स्कोर को नुकसान पहुंचाती है। बैंक इस जानकारी को क्रेडिट ब्यूरो को भेज देते हैं, जिससे भविष्य में कर्ज लेना मुश्किल हो जाता है।
युवाओं में बढ़ता क्रेडिट कार्ड खर्च
युवा तेजी से क्रेडिट कार्ड के जरिए खर्च कर रहे हैं, क्योंकि इसमें तुरंत भुगतान करने की जरूरत नहीं होती। लेकिन अधिक खर्च के कारण जब बिल चुकाने की बारी आती है, तो कई लोग बैंक से समझौता कर लेते हैं। इससे उनका क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है, जिससे आगे चलकर लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
माधान क्या है?
विशेषज्ञों का सुझाव है कि कर्ज चुकाने में दिक्कत होने पर सेटलमेंट के बजाय बैंक से अतिरिक्त समय लेकर पूरा कर्ज चुकाना बेहतर होता है। इससे सिबिल स्कोर प्रभावित नहीं होता और भविष्य में कर्ज लेने में आसानी रहती है।