उत्तर प्रदेश

हैवानियत की हद पार, चार साल की मासूम कर रही न्याय का इंतजार

लखनऊ में घटी घटना न केवल एक मासूम के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है, बल्कि समाज में सुरक्षा और जिम्मेदारी के सवाल भी खड़े करती है।

लखनऊ के इंदिरा नगर क्षेत्र में एक चार साल की मासूम बच्ची के साथ स्कूल वैन के ड्राइवर, मोहम्मद आरिफ, ने दुष्कर्म किया। यह घटना 14 जुलाई 2025 को उस समय हुई, जब बच्ची स्कूल से घर लौट रही थी। बच्ची की मां के अनुसार, जब उनकी बेटी घर पहुंची, तो वह रो रही थी और डरी हुई थी। मां के बार-बार पूछने पर बच्ची ने मासूमियत भरे शब्दों में बताया, “वैन अंकल ने शैतानी की।” बच्ची के निजी अंगों में दर्द और चोट के निशान देखकर मां का दिल दहल गया। मेडिकल जांच में दुष्कर्म की पुष्टि हुई, जिसमें यह भी सामने आया कि बच्ची के निजी अंगों में कुछ डाला गया था, जिसे ‘डिजिटल रेप’ कहा गया।

 

मां ने तुरंत स्कूल प्रबंधन से शिकायत की, लेकिन स्कूल ने कोई कार्रवाई नहीं की। उल्टा, स्कूल प्रबंधक संदीप कुमार ने मां को चुप रहने की सलाह दी और कहा कि शिकायत करने से बच्ची का भविष्य और स्कूल की प्रतिष्ठा खराब होगी। इतना ही नहीं, आरोपी ड्राइवर ने मां और बच्ची को धमकी दी कि यदि उन्होंने पुलिस में शिकायत की, तो वह बच्ची को “गायब” कर देगा। मां ने बताया कि ड्राइवर ने जातिगत टिप्पणियां भी कीं और उन्हें अपमानित किया।

 

आखिरकार, मां ने 17 जुलाई को इंदिरा नगर थाने में शिकायत दर्ज की। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मोहम्मद आरिफ को 18 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS), POCSO एक्ट, और SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। स्कूल प्रबंधक संदीप कुमार को भी सह-आरोपी बनाया गया, क्योंकि स्कूल ने ड्राइवर की पृष्ठभूमि की जांच नहीं की थी और वैन में महिला अटेंडेंट की अनुपस्थिति में लापरवाही बरती। पुलिस ने बच्ची का मेडिकल परीक्षण करवाया और उसका बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया। डीसीपी (पूर्वी क्षेत्र) शशांक सिंह ने बताया कि स्कूल प्रबंधन की भूमिका की जांच की जा रही है, और अन्य बच्चों से भी जानकारी जुटाई जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि ड्राइवर ने पहले भी ऐसी हरकतें की हैं या नहीं।

 

बच्ची की मां ने बताया कि इस घटना ने उनकी बेटी को गहरे सदमे में डाल दिया है। बच्ची अब स्कूल जाने से डरती है और बार-बार एक ही बात दोहराती है, “अंकल शैतानी करेंगे।” वह लोगों को देखकर घबरा जाती है और अपने में सिमटी रहती है। मां का कहना है कि उनकी बेटी पहले हंसमुख और नटखट थी, लेकिन अब वह चुप और सहमी हुई रहती है। इस घटना ने पूरे परिवार को मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ दिया है।

 

यह घटना समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। स्कूलों, जहां माता-पिता अपने बच्चों को सुरक्षित मानकर भेजते हैं, वहां ऐसी लापरवाही और असंवेदनशीलता निंदनीय है। यह सवाल उठता है कि स्कूल प्रबंधन ने ड्राइवर की पृष्ठभूमि की जांच क्यों नहीं की? वैन में महिला अटेंडेंट की अनुपस्थिति क्यों थी? और सबसे महत्वपूर्ण, स्कूल ने शिकायत के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं की?

 

उत्तर प्रदेश के मंत्री संजय निषाद ने इस घटना की कड़ी निंदा की और आरोपी को कठोर सजा देने की मांग की ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें। यह मामला अब हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए है, और बच्ची के परिवार को न्याय की उम्मीद है।

 

यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए समाज, स्कूल, और प्रशासन को और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। एक मासूम का बचपन छिन गया, उसका भरोसा टूट गया, और उसकी मासूमियत पर आघात हुआ। अब समय है कि हम सब मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जागरूक हों और बच्चों को एक सुरक्षित भविष्य दें।

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