उत्तराखंड

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में श्री गुरु कार्तिकेय जन्मोत्सव ‘गुरु छठ महापर्व’ धूमधाम से संपन्न

हरिद्वार, 27 अक्टूबर।

पुण्यभूमि हरिद्वार में सोमवार को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में श्री गुरु कार्तिकेय जी का जन्मोत्सव और गुरु छठ महापर्व बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज के सानिध्य में हुए इस भव्य आयोजन में सैकड़ों संत-महात्मा, श्रद्धालु और गणमान्य नागरिकों ने सहभागिता की। कार्यक्रम की अध्यक्षता जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने की, जबकि संचालन श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने किया।कार्यक्रम की शुरुआत भगवान श्री गुरु कार्तिकेय जी की दिव्य मूर्ति के पंचामृत स्नान और विधिवत पूजा-अर्चना से हुई। आरती के समय मंदिर परिसर भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चार से गूंज उठा। इसके बाद मुख्य सभा का आयोजन हुआ, जिसमें संतों और महात्माओं ने गुरु छठ पर्व की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्ता पर विचार रखे।जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि भगवान श्री गुरु कार्तिकेय जी शिव-पार्वती के पुत्र हैं, जो ज्ञान, शक्ति और संयम के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि गुरु छठ का पर्व हमें सनातन संस्कृति की गहराई और गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता का बोध कराता है। आज के युवाओं को कार्तिकेय जी के जीवन से प्रेरणा लेकर धर्म रक्षा और राष्ट्र सेवा का संकल्प लेना चाहिए।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि गुरु छठ केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि संत परंपरा का जीवंत स्वरूप है। अखाड़े हमारी सनातन संस्कृति के रक्षक हैं और समाज को नई दिशा देने वाले केंद्र भी। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे धर्म प्रचार-प्रसार के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लें।स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा कि भगवान कार्तिकेय का जन्मोत्सव ज्ञान, तपस्या और आत्मानुशासन का संदेश देता है। आज के भौतिकवादी युग में हमें आध्यात्मिक मार्ग अपनाकर जीवन को सार्थक बनाना चाहिए। अखाड़े इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने कहा कि ऐसे आयोजन संत समाज की एकता और संस्कृति की जीवंतता को प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को सनातन संस्कृति की जड़ों से जुड़ना चाहिए और उसकी परंपराओं को आगे बढ़ाना चाहिए।भव्य आयोजन में श्रीमहंत रामरतन गिरि, श्रीमहंत दिनेश गिरि, श्रीमहंत राजगिरि, श्रीमहंत राकेश गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि, स्वामी हरि चेतनानंद महाराज, डॉक्टर आदित्यनंद गिरि महाराज, श्रीमहंत प्रेम गिरि, रावल शिव प्रकाश सेमवाल, दिगंबर सतीश वन, महंत रवि पुरी, मेयर किरण जैसल और एसएमजेएन पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुनील कुमार बत्रा सहित अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।अंत में महाप्रसाद एवं भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर आशीर्वाद प्राप्त किया। साथ ही पवित्र गंगा जल से भरा कलश ‘पशुपतिनाथ नेपाल’ के लिए रवाना किया गया। इस आयोजन ने हरिद्वार को एक बार फिर आध्यात्मिक आस्था और सांस्कृतिक एकता के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया।

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